हित के गीत
स्वयं पर विश्वास, हो साथ एक जीत,
दिखाने का सम्मान, ऐसी जग की रीत।
जश्न की खीर और स्वार्थ के गीत,
आत्म-सत्य कर्म से, असत्य की प्रीत।
सोच की सीमा, समय जो गया बीत,
आश्वासन है साथ, उसमें भी बसा हित।
जश्न की भीड़, सफलता के विपरीत,
स्वार्थ का सम्मान, हित के वो गीत।
व्यर्थ वो सम्मान, जहाँ हित के वो गीत।।
~ Relax