सामानता
में सोचता हूं, जिंदगी समान सी चलती रहे,
वक्त हालात अच्छे हो, शाम गुजरती रहे।
पर खाब रात भर, मुझमें बात ढलती रहे,
रोज रोज लड़ते हुए, मुश्किलें बढ़ती चले।
बढ़ते हुए, गुरु समक्ष शीश झुका कर चलू,
रोष दोष में कभी, मोक्ष के प्रति चले।
परिणाम के ना पीछे, जिंदगी का है वास्ता,
भोज से तू लड़, योग कर्म धर्म रास्ता।
भीड़ बीच एकांत वर्ग खोजता समानता,
धर्य तेरा मार्ग, शांत मन है महानता।
~ Relax