एक खुदको दिलाशा सा है, कि रोशन जीवन होगा जरूर। कभी वो खुदकी खामोशी, कभी दूसरो की देखता हूं।
कभी सबकुछ भूल कर फिरसे जीना चाहूं। कभी खुदको ही भूलकर, शाया खुदका ढूंढना चाहूं।
कभी ना कभी तो ऐसा होना ही था। फिर ये सोचना की अब फरक नही पड़ता। फिरसे आंखो का नम सा होना, कबी खुदको गलत ठहराना, सब कुछ ठीक करने की आस लगाना। ये बस है खुदको ही सताना, बिना गलती के खुदको दोषी ठहराना।
सालो से जो पास होगा, कभी वो भी न साथ होगा।
भूल जायेगी ये दुनिया तुमको, तभ भी तुम्हारा कर्म तुम्हारे साथ होगा।
रंगो को पसंद करते है अक्सर ये लोग, तुम्हारे जीवन से रंगों का जाना, ये दुनिया का तुमसे जुदा होना, एक जैसा है।
हम वाकिफ इनसे हुए, ये जो कहते है, इंसानियत से बड़ा कुछ नही, सत्य ही जीवन है, बाते बड़ी करते हुए, ये किसीके नही हुए।
कौन कहता है, सभी बुरे है। कभी कभी अच्छाइयां भी होती है, बस एक आस अपने पास रखते है, खुदको संपूर्ण बनाने के लिए। कभी कभी खुदको बेवकूफ बनाना, दूसरो को खुशियां दिलाने के लिए।
ये बाते तो आजीवन है, अच्छाई और कर्म हमेशा साथ हो, माता पिता का आशीर्वाद हो, | रुकावट आएगी हर रोज, योदा वीर जो लड़े, ऐसी बात हो|
~ Relax